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भूकंप, जागरूकता एवं बचाव

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भूकंप , जागरूकता एवं बचाव ईशेंद्र प्रसाद दीक्षित , अनिल कुमार चौबे वैऔअप - राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान , दोना पौला , गोवा-403004 पृथ्वी के आंतरिक कारणों से पृथ्वी मे होने वाले कंपन को भूकंप कहते हैं। पृथ्वी की सतह अनेक चलायमान प्लेटों से बनी हुई हैं . प्लेटों की इस गति के कारण , संग्रहित ऊर्जा अत्यधिक प्रतिबल के कारण अचानक निर्मुक्त होती है और पृथ्वी के अंदर तरंगों के रूप मे फैल जाती है और भूकंप को उत्पन्न करती है | पृथ्वी के अंदर वह स्थान जहाँ से भूकंप की तरंगें उत्पन्न होती है उसे उद्गम केंद्र ( Focus) तथा उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर धरातल पर जो स्थान होता है उसे उपकेंद्र या अधिकेन्द्र ( Epicenter) कहते हैं | पृथ्वी के अंदर शैलों में विक्षोभ (Disturbance) होने के स्रोत्र से , पृथ्वी में सभी दिशाओं में कम्पन होता है। जहाँ पर प्लेटों में विक्षोभ होता है वही से ही पृथ्वी में कम्पन होता है जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी में विध्वंसकारी प्रभाव होते है। विझोभ होने वाले स्थान पर कंपन अधिकतम होता है तथा दूरी बढ़ने के साथ कम्पन कम होता जाता है और उसके साथ ही विध्वंस भी कम होता जाता